इस्तिबदाद की आँधियाँ टिमटिमाते चिराग़ों को गुल कर सकती हैं मगर इन्क़िलाब के शोअ्लों पर उनका कोई बस नहीं चलता।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
इस्तिबदाद की आँधियाँ टिमटिमाते चिराग़ों को गुल कर सकती हैं मगर इन्क़िलाब के शोअ्लों पर उनका कोई बस नहीं चलता।
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
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