ब्लाउज़
युवावस्था के आरम्भ में शरीर में होने वाले परिवर्तनों का श्रेष्ठ वर्णन है। मोमिन एक ऐसे घर में मुलाज़िम है जिसमें शकीला और रज़िया दो खुले विचारों वाली बहनें रहती हैं। शकीला मोमिन के सामने ही ब्लाउज़ नापती, सिलती और पहन कर देखती है जिसके नतीजे में मोमिन के दिमाग़ में विभिन्न प्रकार के विचारों का हुजूम रहने लगता है और फिर एक दिन वो नए आनंद से परिचित होता है।
सआदत हसन मंटो
क़ासिम
अफ़साना घरों में काम करने वाले बच्चों के शोषण पर आधारित है। क़ासिम इंस्पेक्टर साहब के यहाँ नौकर था। वह बहुत कम-उम्र था फिर भी उस से घर-भर के काम लिए जाते थे। इतने कामों के कारण उसकी नींद भी पूरी नहीं हो पाती थी। काम से बचने के लिए उसने एक रोज़़ चाकू़ से अपनी उँगली काट ली। उसका यह तरीक़ा काम कर गया। उसे कई दिन के लिए काम से छुट्टी मिल गई। ठीक होने के कुछ दिन बाद ही उसने फिर से अपनी अंगुली काट ली। मगर जब उसने तीसरी बार उँगली काटी तो मालिक ने तंग आ कर उसे घर से निकाल दिया। दवाई के अभाव में क़ासिम की ताज़ा कटी उँगली में सैप्टिक हो गया। जिस कारण डॉक्टर को उसका हाथ काटना पड़ा। हाथ कटने पर वह भीख माँगने का धंधा करने लगा।
सआदत हसन मंटो
नफ़सियात शनास
यह कहानी एक ऐसे शख़्स की है जो अपने घरेलू नौकर पर मनोवैज्ञानिक अध्ययन करता है। उसके यहाँ पहले दो सगे भाई नौकर हुआ करते थे। उनमें से एक बहुत चुस्त था तो दूसरा बहुत सुस्त। उसने सुस्त नौकर को हटाकर उसकी जगह एक नया नौकर रख लिया। वह बहुत होशियार और पहले वाले से भी ज़्यादा चुस्त और फुर्तीला था। उसकी चुस्ती और फ़ुर्ती इतनी ज़्यादा थी कि कभी-कभी वह उसके काम करने की तेज़ी को देख कर झुंझला जाता था। उसका एक दोस्त उस नौकर की बड़ी तारीफ़ किया करता था। इससे प्रभावित हो कर एक रोज़ उसने नौकर की गतिविधियों का मनोवैज्ञानिक अध्ययन करने की ठानी और फिर...