ग़ुस्सा जितना कम होगा उस की जगह उदासी लेती जाएगी।
ग़ुस्सा आदमी में सारी ज़िंदगी मौजूद होता है मगर पोशीदा रहता है। लेकिन अगर हर दिन के ख़ात्मे पर उसे ज़ाहिर होने का मौक़ा' दिया जाये तो एक दिन ऐसा आएगा कि आदमी ग़ुस्से और नफ़रत से पूरी तरह ख़ाली हो जाएगा।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
ग़ुस्सा जितना कम होगा उस की जगह उदासी लेती जाएगी।
ग़ुस्सा आदमी में सारी ज़िंदगी मौजूद होता है मगर पोशीदा रहता है। लेकिन अगर हर दिन के ख़ात्मे पर उसे ज़ाहिर होने का मौक़ा' दिया जाये तो एक दिन ऐसा आएगा कि आदमी ग़ुस्से और नफ़रत से पूरी तरह ख़ाली हो जाएगा।
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
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