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शहीद भगत-सिंह

तिलोकचंद महरूम

शहीद भगत-सिंह

तिलोकचंद महरूम

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    ज़िंदाँ में शहीदों का वो सरदार आया

    शैदा-ए-वतन पैकर-ए-ईसार आया

    है दार-ओ-रसन की सरफ़राज़ी का दिन

    सरदार भगत-सिंह सरदार आया

    ता-दार-ओ-रसन शौक़ से इठला के गया

    तो शान-ए-शहादत अपनी दिखला के गया

    टुकड़े होता है दिल तिरे मातम में

    लाशे का अंग अंग कटवा के गया

    पी कर मय-ए-शौक़ झूमना वो तेरा

    बे-परवायाना घूमना वो तेरा

    है नक़्श तिरे अहल-ए-वतन के दिल पर

    फाँसी की रसन को चूमना वो तेरा

    जाम-ए-हुब्ब-ए-वतन के मतवाले

    पैकर-ए-नामूस हमिय्यत वाले

    हो आलम-ए-अर्वाह में शादाँ कि नहीं

    अब तेरे वतन में वो हुकूमत वाले

    स्रोत :
    • पुस्तक : Urdu Mein Qaumi Shairi Ke Sau Saal (पृष्ठ 238)
    • रचनाकार : Ali Jawad Zaidi
    • प्रकाशन : Uttar Pradesh Urdu Acadmi (Lucknow) (1982,Editon II 2010)
    • संस्करण : 1982,Editon II 2010

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