देखो बाहर आग लगी है
दरवाज़े पर नई रुतों की ख़ुश्बू रोती है
और अंदर बीते मौसम वीरानी पर हँसते हैं
फिर भी बे-मंज़र आँखें उम्मीद का झूला झूलती हैं
फिर भी दिल सन्नाटे को आवाज़ बनाए जाता है
किसे बुलाता है
- पुस्तक : جنہیں راستے میں خبر ہوئی (पृष्ठ 330)
- रचनाकार : سلیم کوثر
- प्रकाशन : فضلی بکس ٹیمپل روڈ،اردو بازار، کراچی
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