प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है
प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है
नए परिंदों को उड़ने में वक़्त तो लगता है
जिस्म की बात नहीं थी उन के दिल तक जाना था
लम्बी दूरी तय करने में वक़्त तो लगता है
गाँठ अगर लग जाए तो फिर रिश्ते हों या डोरी
लाख करें कोशिश खुलने में वक़्त तो लगता है
हम ने इलाज-ए-ज़ख़्म-ए-दिल तो ढूँड लिया लेकिन
गहरे ज़ख़्मों को भरने में वक़्त तो लगता है
- पुस्तक : Kuchh Aur Tarah Se Bhi (Gazal) (पृष्ठ 91)
- रचनाकार : Hastimal Hasti
- प्रकाशन : Vani Prakashan (2005)
- संस्करण : 2005
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