कार-ए-दीं उस बुत के हाथों हाए अबतर हो गया
कार-ए-दीं उस बुत के हाथों हाए अबतर हो गया
इनामुल्लाह ख़ाँ यक़ीन
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कार-ए-दीं उस बुत के हाथों हाए अबतर हो गया
जिस मुसलमाँ ने उसे देखा वो काफ़र हो गया
दिलबरों के नक़्श-ए-पा में है सदफ़ का सा असर
जो मिरा आँसू गिरा उस में सो गौहर हो गया
क्या बदन होगा कि जिस के खोलते जामे का बंद
बर्ग-ए-गुल की तरह हर नाख़ुन मोअ'त्तर हो गया
आँख से निकले प आँसू का ख़ुदा हाफ़िज़ 'यक़ीं'
घर से जो बाहर गया लड़का सो अबतर हो गया
- पुस्तक : Ghazal Usne Chhedi (Part-1) (पृष्ठ 199)
- रचनाकार : Farhat Ehsas
- प्रकाशन : Rekhta Books (2016)
- संस्करण : 2016
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