इहानत-ए-दिल-ए-सब्र-आज़मा नहीं करते
इहानत-ए-दिल-ए-सब्र-आज़मा नहीं करते
बुलंद हम भी ये दस्त-ए-दुआ नहीं करते
सर अहल-ए-इश्क़ के अक्सर झुका नहीं करते
अगर झुके भी कहीं फिर उठा नहीं करते
वो बात उन की निगाहें बताए देती हैं
जिसे वो अपनी ज़बाँ से अदा नहीं करते
दलील-ए-ताबिश-ए-ईमाँ है कुफ़्र का एहसास
चराग़ शाम से पहले जला नहीं करते
उमीद अहद-ए-वफ़ा और उन बुतों से 'शकील'
जो भूल कर भी किसी से वफ़ा नहीं करते
- पुस्तक : Kulliyat-e-Shakiil Badaayuuni (पृष्ठ 115)
- रचनाकार : Shakiil Badaayuuni
- प्रकाशन : Farid Book Depot (Pvt.) Ltd
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