सितम-ए-गर्मी-ए-सहरा मुझे मालूम न था
सितम-ए-गर्मी-ए-सहरा मुझे मालूम न था
ख़ुश्क हो जाएगा दरिया मुझे मालूम न था
मैं ने समझा था कि फ़िरदौस-ए-बरीं है दुनिया
इक जहन्नुम है सरापा मुझे मालूम न था
चंद दानिस्ता हक़ाएक़ की तलब की ख़ातिर
ज़ुल्म ढाएगा ज़माना मुझे मालूम न था
लहलहा उठता चमन मेरी उमीदों का मगर
ज़र्द था वक़्त का चेहरा मुझे मालूम न था
दोस्ती प्यार ख़ुलूस अम्न वफ़ा की ख़ुशबू
ये हैं अल्फ़ाज़-ए-तमन्ना मुझे मालूम न था
बारहा जिस के क़रीब आ के मिला मुझ को सुकूँ
मेरा अपना ही था साया मुझे मालूम न था
अहद-ए-तिफ़्ली था 'कमाल' अह्द-ए-मसर्रत-आगीं
ग़म के साए में पलूँगा मुझे मालूम न था
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