शौक़-ए-सवाब कुछ नहीं ख़ौफ़-ए-अज़ाब कुछ नहीं
शौक़-ए-सवाब कुछ नहीं ख़ौफ़-ए-अज़ाब कुछ नहीं
जिस में न जोश-ए-जोहद हो उस का शबाब कुछ नहीं
ज़िंदगी इक सवाल है जिस का जवाब मौत है
मौत भी इक सवाल है जिस का जवाब कुछ नहीं
नग़मा-ए-नौ के वास्ते ग़ैर की एहतियाज क्या
छेड़ दे तार-ए-साज़-ए-दिल चंग-ओ-रुबाब कुछ नहीं
साफ़ दिलों के वास्ते तंग है अरसा-ए-हयात
ज़ात-ए-हुबाब ख़ूब है उम्र-ए-हुबाब कुछ नहीं
बरहमन और शैख़ में झगड़े यही हैं रात दिन
तेरी किताब कुछ नहीं तेरी किताब कुछ नहीं
रात को मय-कदे में कल थी किसी मस्त की सदा
एक नज़र का रंग है रंग-ए-शराब कुछ नहीं
- पुस्तक : Aazadi ke baad dehli men urdu gazal (पृष्ठ 55)
- रचनाकार : Professor Unwan Chishti
- प्रकाशन : Asila Offset Printers, Kalan Mahal, Dariyaganj, New Delhi-6 (1989)
- संस्करण : 1989
Additional information available
Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.
About this sher
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.
rare Unpublished content
This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.