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दिल-ए-बर्बाद को छोटा सा मकाँ भी देगा

एहतिशाम अख्तर

दिल-ए-बर्बाद को छोटा सा मकाँ भी देगा

एहतिशाम अख्तर

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    दिल-ए-बर्बाद को छोटा सा मकाँ भी देगा

    जब नया ज़ख़्म भरेगा तो निशाँ भी देगा

    पहले गुज़रूँगा मैं उम्मीद यक़ीं की रह से

    फिर तिरा प्यार मुझे वहम-ओ-गुमाँ भी देगा

    पैकर-ए-रंग जो पल भर में बिखर जाएगा

    जागती आँखों को ख़्वाबों का जहाँ भी देगा

    तुम जलाना मुझे चाहो तो जला दो लेकिन

    नख़्ल-ए-ताज़ा जो जलेगा तो धुआँ भी देगा

    वक़्त देता है जिन्हें आज खिलौने 'अख़्तर'

    उन्हीं अतफ़ाल को कल तीर-ओ-सिनाँ भी देगा

    स्रोत :
    • पुस्तक : Tahreek Silver Jubilee Number (पृष्ठ 432)
    • रचनाकार : Gopal Mittal, Makhmoor Saeedi, Prem Gopal Mittal
    • प्रकाशन : Monthly Tahreek, 9, Ansari Market, Daryaganj, New Delhi-110002 (July, Aug., Sep. Oct. 1978,Volume No. 26,Issue No. 4,5,6,7,)
    • संस्करण : July, Aug., Sep. Oct. 1978,Volume No. 26,Issue No. 4,5,6,7,

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