हमारी राह से पत्थर उठा कर फेंक मत देना
लगी हैं ठोकरें तब जा के चलना सीख पाए हैं
ज़ख़्म लगा कर उस का भी कुछ हाथ खुला
मैं भी धोका खा कर कुछ चालाक हुआ
भले ही लाख हवालों के साथ कहते हैं
मगर वो सिर्फ़ किताबों की बात कहते हैं
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
हमारी राह से पत्थर उठा कर फेंक मत देना
लगी हैं ठोकरें तब जा के चलना सीख पाए हैं
ज़ख़्म लगा कर उस का भी कुछ हाथ खुला
मैं भी धोका खा कर कुछ चालाक हुआ
भले ही लाख हवालों के साथ कहते हैं
मगर वो सिर्फ़ किताबों की बात कहते हैं
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
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