ख़्वाजा मीर दर्द के शेर
मैं जाता हूँ दिल को तिरे पास छोड़े
मिरी याद तुझ को दिलाता रहेगा
कहते न थे हम 'दर्द' मियाँ छोड़ो ये बातें
पाई न सज़ा और वफ़ा कीजिए उस से
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दोनों जहान की न रही फिर ख़बर उसे
दो प्याले तेरी आँखों ने जिस को पिला दिए
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साक़िया! याँ लग रहा है चल-चलाव
जब तलक बस चल सके साग़र चले
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एक ईमान है बिसात अपनी
न इबादत न कुछ रियाज़त है
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हो गया मेहमाँ-सरा-ए-कसरत-ए-मौहूम आह
वो दिल-ए-ख़ाली कि तेरा ख़ास ख़ल्वत-ख़ाना था
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है ग़लत गर गुमान में कुछ है
तुझ सिवा भी जहान में कुछ है
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क़त्ल-ए-आशिक़ किसी माशूक़ से कुछ दूर न था
पर तिरे अहद से आगे तो ये दस्तूर न था
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अर्ज़-ओ-समा कहाँ तिरी वुसअत को पा सके
मेरा ही दिल है वो कि जहाँ तू समा सके
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टैग : तसव्वुफ़
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साक़ी मिरे भी दिल की तरफ़ टुक निगाह कर
लब-तिश्ना तेरी बज़्म में ये जाम रह गया
दर्द-ए-दिल के वास्ते पैदा किया इंसान को
वर्ना ताअत के लिए कुछ कम न थे कर्र-ओ-बयाँ
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न रह जावे कहीं तू ज़ाहिदा महरूम रहमत से
गुनहगारों में समझा करियो अपनी बे-गुनाही को
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तर-दामनी पे शैख़ हमारी न जाइयो
दामन निचोड़ दें तो फ़रिश्ते वज़ू करें
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ग़ाफ़िल ख़ुदा की याद पे मत भूल ज़ीनहार
अपने तईं भुला दे अगर तू भुला सके
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ख़ल्क़ में हैं पर जुदा सब ख़ल्क़ से रहते हैं हम
ताल की गिनती से बाहर जिस तरह रूपक में सम
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ज़ुल्फ़ों में तो सदा से ये कज-अदाइयाँ हैं
आँखों ने पर ये और ही आँखें दिखाइयाँ हैं
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मुझे ये डर है दिल-ए-ज़िंदा तू न मर जाए
कि ज़िंदगानी इबारत है तेरे जीने से
दिल भी ऐ 'दर्द' क़तरा-ए-ख़ूँ था
आँसुओं में कहीं गिरा होगा
शम्अ के मानिंद हम इस बज़्म में
चश्म-ए-तर आए थे दामन-तर चले
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टैग : शम्अ
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सल्तनत पर नहीं है कुछ मौक़ूफ़
जिस के हाथ आए जाम वो जम है
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तुझी को जो याँ जल्वा-फ़रमा न देखा
बराबर है दुनिया को देखा न देखा
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दिल भी तेरे ही ढंग सीखा है
आन में कुछ है आन में कुछ है
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टैग : दिल
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ग़ैर के दिल में न जा कीजिएगा
मेरी आँखों में रहा कीजिएगा
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बावजूदे कि पर-ओ-बाल न थे आदम के
वहाँ पहुँचा कि फ़रिश्ते का भी मक़्दूर न था
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जग में आ कर इधर उधर देखा
तू ही आया नज़र जिधर देखा
रात मज्लिस में तिरे हुस्न के शोले के हुज़ूर
शम्अ के मुँह पे जो देखा तो कहीं नूर न था
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'दर्द' कुछ मालूम है ये लोग सब
किस तरफ़ से आए थे कीधर चले
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हमें तो बाग़ तुझ बिन ख़ाना-ए-मातम नज़र आया
इधर गुल फाड़ते थे जैब रोती थी उधर शबनम
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क़ासिद नहीं ये काम तिरा अपनी राह ले
उस का पयाम दिल के सिवा कौन ला सके
नाला फ़रियाद आह और ज़ारी
आप से हो सका सो कर देखा
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तमन्ना तिरी है अगर है तमन्ना
तिरी आरज़ू है अगर आरज़ू है
बंद अहकाम-ए-अक़्ल में रहना
ये भी इक नौअ' की हिमाक़त है
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वहदत में तेरी हर्फ़ दुई का न आ सके
आईना क्या मजाल तुझे मुँह दिखा सके
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टैग : आईना
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दर्द तू जो करे है जी का ज़ियाँ
फ़ाएदा उस ज़ियान में कुछ है
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दुश्मनी ने सुना न होवेगा
जो हमें दोस्ती ने दिखलाया
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क़त्ल से मेरे वो जो बाज़ रहा
किसी बद-ख़्वाह ने कहा होगा
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उन लबों ने न की मसीहाई
हम ने सौ सौ तरह से मर देखा
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टैग : लब
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रौंदे है नक़्श-ए-पा की तरह ख़ल्क़ याँ मुझे
ऐ उम्र-ए-रफ़्ता छोड़ गई तू कहाँ मुझे
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या-रब ये क्या तिलिस्म है इदराक-ओ-फ़हम याँ
दौड़े हज़ार आप से बाहर न जा सके
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ज़िंदगी है या कोई तूफ़ान है!
हम तो इस जीने के हाथों मर चले
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मत जा तर-ओ-ताज़गी पे उस की
आलम तो ख़याल का चमन है
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हर-चंद तुझे सब्र नहीं दर्द व-लेकिन
इतना भी न मिलियो कि वो बदनाम बहुत हो
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हम तुझ से किस हवस की फ़लक जुस्तुजू करें
दिल ही नहीं रहा है जो कुछ आरज़ू करें
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गली से तिरी दिल को ले तो चला हूँ
मैं पहुँचूँगा जब तक ये आता रहेगा
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टैग : दिल
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यक-ब-यक नाम ले उठा मेरा
जी में क्या उस के आ गया होगा
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टैग : याद
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ने गुल को है सबात न हम को है ए'तिबार
किस बात पर चमन हवस-ए-रंग-ओ-बू करें
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ज़ालिम जफ़ा जो चाहे सो कर मुझ पे तू वले
पछतावे फिर तू आप ही ऐसा न कर कहीं
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टैग : जफ़ा
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आगे ही बिन कहे तू कहे है नहीं नहीं
तुझ से अभी तो हम ने वे बातें कही नहीं
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नहीं शिकवा मुझे कुछ बेवफ़ाई का तिरी हरगिज़
गिला तब हो अगर तू ने किसी से भी निभाई हो
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टैग : बेवफ़ाई
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जान से हो गए बदन ख़ाली
जिस तरफ़ तू ने आँख भर देखा