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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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कैफ़ियत क्या थी यहाँ आलम-ए-ग़म से पहले

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

कैफ़ियत क्या थी यहाँ आलम-ए-ग़म से पहले

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

MORE BYअख़्तर अंसारी अकबराबादी

    कैफ़ियत क्या थी यहाँ आलम-ए-ग़म से पहले

    कौन आया था तिरी बज़्म में हम से पहले

    सब करम है तिरे अंदाज़-ए-सितम से दोस्त

    ज़ौक़-ए-ग़म दिल को था तेरे सितम से पहले

    बंदगी तेरी ख़ुदाई से बहुत है आगे

    नक़्श-ए-सज्दा है तिरे नक़्श-ए-क़दम से पहले

    क़ल्ब-ए-इंसाँ को है अब फिर उसी आलम की तलाश

    तेरी महफ़िल थी जहाँ दैर-ओ-हरम से पहले

    हम से मंसूर ज़माने में कहाँ हैं 'अख़्तर'

    दार तक नहीं सकता कोई हम से पहले

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